विश्व टेलीविजन दिवस : मनोरंजन के कई रूप, टेलीविजन प्रमुख

21 नवंबर को हर वर्ष विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाया जाता है। आइये इस अवसर पर जानते हैं टेलीविजन से जुड़ी कुछ रोचक बातें ।
मनोरंजन को घर-घर पहुंचाने के लिए जिस माध्यम को चुना जाता है उनमें टेलीविजन प्रमुख है, आज दुनिया के अरबों घर ऐसे हैं जहां आपको टेलीविजन मिल जायेंगे। इसके माध्यम से उपभोक्ता समाचार, फिल्में, खेल और मनोरंजन से जुड़े कार्यक्रम का लुत्फ बड़ी आसानी से अपने घरों में बैठे बैठे ही उठाते हैं।
लेकिन आज से लगभग 100 साल पहले ऐसा सोचना भी नामुनकिन था पर वर्ष 1927 में अमेरिकन वैज्ञानिक जॉन लॉगि बेयर्ड ने टेलीविजन का अविष्कार करके सबको चौंका दिया।

टेलीविजन क्या है ?

यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो सैटेलाइट से भेजी गई तरंगों को एकत्रित करके स्थायी रूप से प्रदर्शित करता है। इसे दूरसंचार प्रणाली के तौर पर भी जाना जाता है। इसके माध्यम से हम live shows अपने घर बैठे – बैठे ही देख सकते हैं।
संक्षेप में टेलीविजन के बारे में यही कहा जा सकता है। इसके विस्तार में जाने पर आप उसके और भी कई छोटे-छोटे पहलुओं के बारे में जान सकते हैं।

टेलीविजन का विस्तार

जॉन लॉगि बेयर्ड ने वर्ष 1927 में टेलीविजन का अविष्कार तो कर दिया लेकिन इसे पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए प्रभावी होने में और भी 7 वर्ष लग गए।
1938 में में पहली बार औपचारिक तौर पर टेलीविजन को बाजार में उतारा गया और धीरे-धीरे लोगों ने बड़ी संख्या में इसे खरीदना शुरू कर दिया।

भारत में टेलीविजन का आगमन

15 सितंबर 1959 को ऑल इंडिया रेडियों के अंतर्गत टेलीविजन का प्रसारण को एक प्रयोग के तौर पर शुरू हुआ, तभी इसे टेलीविजन इंडिया के नाम से जाना जाता था जिसने बाद में जाकर दूरदर्शन के नाम में ख्याति प्राप्त की।

भारत मे टेलीविजन का विस्तार

टेलीविजन ने 1959 में ही भारत में दस्तक दे दी थी लेकिन फिर भी ये लगभग 95 प्रतिशत आबादी के पहुंच के बाहर था। वर्ष 1983 में भारतीय क्रिकेट के विश्वकप प्रतियोगिता जीतने के बाद इसके प्रति लोगों में आग्रहता जागी और दूरदर्शन ने भी खुद को बदला , फिर 1984 में ‘हम लोग’ नाम से पहली धारावाहिक दूरदर्शन में दिखाई जाने लगी जिसे दर्शकों का अच्छा समर्थन प्राप्त हुआ। धीरे – धीरे ये सिलसिला चल पड़ा और फिर दूसरे धारावाहिक भी दूरदर्शन पर दिखाए जाने लगे जिनमें रामानंद सागर की ‘रामायण’ और बी आर चोपड़ा की ‘महाभारत’ ने टेलीविजन की दुनिया में क्रांति ला दी।
अब दूरदर्शन के माध्यम से लोगों तक समाचार, धारावाहिक, फिल्मों के साथ ही खेल का live प्रसारण, देश से जुड़ी औपचारिक घोषणाओं का live प्रसारण भी किया जाने लगा। 20वीं शताब्दी की शुरुआत तक देश की एक बड़ी आबादी तक इसकी पहुँच हो गयी ।

आज देश के घर-घर में 24 घंटे उपभोक्ताओं के पसंदीदा भाषाओं में अनेकों धारावाहिक, फ़िल्म और दूसरे मनोरंजन के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। समय के साथ टेलीविजन अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हो चुका है और उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक भी।
अब multiple चैनलों का दौर चल रहा है जहाँ आप एक set top box के माध्यम से एक ही TV set में कई चैनलों का आनंद उठा सकते हैं, बस केवल एक रिमोट के घुमाते ही।
टेलीविजन ने जिस तरह से लोगों की दुनिया बदल दी है उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि मनोरंजन के कई रूपों में ये प्रमुख है।

ये थी कुछ बातें अंतराष्ट्रीय टेलीविजन दिवस के अवसर पर टेलीविजन से जुड़ी हुई अगर आपके पास भी कुछ जानकारी है जो हमसे छूट गयी तो टिप्पणियों के माध्यम से अवगत करायें।

लेखक, बद्रीनाथ साव

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