संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाक को बताया झूठा, कहा- बिलावल का बयान जवाब के काबिल नहीं

– महिलाओं-लड़कियों के खिलाफ आतंकी हिंसा पर अंकुश जरूरी

– सभी देश आतंकवाद के खिलाफ अपनाएं जीरो टॉलरेंस की नीति

न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने पाकिस्तान को झूठा करार दिया। साथ ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान को खारिज करते हुए उसे जवाब देने के काबिल नहीं बताया है। भारत ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ आतंकी हिंसा पर तत्काल अंकुश लगाने की बात करते हुए सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का आह्वान किया।

संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी गंभीर मसले पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाकर दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महिला, शांति और सुरक्षा विषय पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठा दिया।

इस पर भारत ने पाकिस्तान की जोरदार खिंचाई की। पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाते हुए भारत की ओर से कहा गया कि भारत इस तरह के दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार का जवाब देना उचित नहीं समझता। बिलावल को आईना दिखाते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयान तो जवाब देने के योग्य भी नहीं हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि सदस्य देशों को राजनीतिक प्रक्रियाओं और फैसले लेने में महिलाओं की भागीदारी और समावेश के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद और हिंसक अतिवाद, मानवाधिकारों के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता और वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं। कंबोज ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा जारी है। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों के लिए जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाने का आह्वान किया।

अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र करते हुए कंबोज ने कहा कि भारत महिलाओं की सार्थक भागीदारी के साथ अफगानिस्तान में समावेशी और प्रतिनिधि शासन के महत्व पर जोर दे रहा है, जिसे अगस्त 2021 में भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अपनाया गया था।

संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय संगठनों को राष्ट्रीय अधिकारियों के अनुरोध पर उनके राष्ट्रीय कानूनी ढांचे और संबंधित संस्थागत ढांचे को मजबूत करने की क्षमताओं को विकसित करने में सहायता करनी चाहिए ताकि जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। साथ ही महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों की जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि शांति निर्माण के प्रयासों में महिलाओं पर फोकस करना जरूरी है।

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