इतिहास के पन्नों मेंः 26 जनवरी – वाह नाचत मोर, सुन नव घन की घोर

मोर का पंख जो भगवान श्रीकृष्ण के मष्तक पर शोभायमान है। मोर जो भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जो स्कंद और मुरुगन भी कहे जाते हैं, उनका वाहन है। भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में भी मोर का विशिष्ट श्रृंगारिक महत्व है। सावन के बादलों को देख प्रसन्नता में मोर का नाचना कवियों, कलाकारों, चित्रकारों और शिल्पकारों को प्रभावित करता रहा है। पंचतंत्र से लेकर पौराणिक कथाओं में मोर अपनी खूबसूरत छटा के साथ उपस्थित है। धार्मिक मूल्यों व एतिहासिक संदर्भों में अहम स्थान रखने वाले मोर को 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया।

मोर नर प्रजाति का है जिसके पंखों का गाढ़ा नीला और हरा रंग लोगों को आकर्षित करता है। मादाओं को मोरनी कहा जाता है और ये छोटी होती हैं जिनका रंग भूरा होता है। खास बात यह है कि खूबसूरत और रंगीन पूंछ सिर्फ मोर नर के होते हैं। मोर पूरे भारतीय प्रायद्वीप में पाया जाता है। मोर के पंखों का फैलाव पांच फीट तक होता है और इसका वजन 8-13 पाउंड हो सकता है। बड़े और भारी पंखों के बावजूद मोर उड़ सकते हैं। मोर सर्वहारी होते हैं जो पौधे, पत्तियां, बीज और कीड़े-मकोड़े खाते हैं।

अन्य अहम घटनाएंः

1904ः स्वतंत्रता सेनानी और स्वामी श्रद्धानंद की पौत्री सत्यवती देवी का जन्म।

1915ः भारत की नागा आध्यात्मिक और राजनीतिक नेत्री रानी गाइदिनल्यू का जन्म।

1930ः ब्रिटिश शासन में पहली बार स्वराज दिवस मनाया गया।

1950ः भारत के संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना जिसका संविधान लागू हुआ।

2012ः पंजाबी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार करतार सिंह दुग्गल का निधन।

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