नयी दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए लाए गए कानून को बिना चर्चा के पारित कराना दर्शाता है कि सरकार चर्चा से डरती है।

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राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं के साथ संसद के बाहर विजय चौक पर आकर पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि वे पहले ही भविष्यवाणी कर चुके थे कि सरकार इन कृषि कानूनों को वापिस लेगी, सरकार ने आज इन कानूनों को वापिस ले लिया।

उन्होंने कहा कि विपक्ष कानूनों को वापस लिए जाने से जुड़े कानून पर चर्चा चाहताथा। हम किसानों की शहादत, कृषि कानूनों के औचित्य, लखीमपुर खेरी के विषय और अन्य विषयों पर चर्चा चाहते थे लेकिन सरकार चर्चा के लिए राजी नहीं हुई। सरकार जानती है कि गलती उसकी है और उसकी गलती से सब कुछ हुआ है इसलिए सरकार चर्चा नहीं कराना चाहती।

इस दौरान उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाना दर्शाता है कि कुछ पूंजीपतियों की शक्ति किसानों की ताकत के आगे खड़ी नहीं हो सकी, यह किसानों और मजदूरों की जीत है। राहुल ने इस बात पर आपत्ति जताई कि किसान आंदोलन को एक वर्ग का बताया गया है, ऐसा नहीं है क्योंकि यह पूरे हिन्दुस्तान के किसानों का आंदोलन था।

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