कोलकाता : राजकमल प्रकाशन समूह और राधाकृष्ण पेपरबैक्स के तत्वावधान में यतीश कुमार की पहली कविता पुस्तक ‘अन्तस की खुरचन’ का विमोचन और उस पर परिचर्चा का आयोजन रविवार की शाम बांग्ला अकादेमी के सभागार में सम्पन्न हुआ।

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कार्यक्रम की शुरुआत इस संग्रह की कविता ‘किऊल नदी’ के योगेश तिवारी द्वारा किये पाठ से हुई।
टीम ‘नीलाम्बर’ और हावड़ा ‘नवज्योति’ द्वारा इस संग्रह की कविताओं पर आधारित कविता कोलाज की प्रस्तुति दी गयी।
स्मिता गोयल ने ‘अन्तस की खुरचन’ के लिखे जाने के दिनों के रोचक और भावुक स्मृतियों को सबके सामने रखा।


राजनीतिक चेतना पर बात करते हुए वक्ता राकेश बिहारी ने कहा कि यतीश की कविता बाहर से भीतर की यात्रा करती है। कवि नीलकमल ने ‘अंतस की खुरचन’ में कई अच्छी कविताओं को रेखांकित किया। उन्होंने यतीश में एक अच्छे कवि की संभावनाओं पर भी चर्चा की। प्रियंकर पालीवाल ने यतीश की कविताओं में आये टटके शब्दों की अर्थध्वनियों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऐसे कवि जो हिंदी पढ़ने-पढ़ाने से अलग क्षेत्र और सोच के साथ आते हैं, उनकी रचनाओं में नयापन रहता है।आशुतोष सिंह ने कहा कि अन्तस को खुरचना कठिन होता है और यह तभी संभव है जब कवि खुद ईमानदार हो।


मृत्युंजय कुमार ने कहा कि यतीश की कविता पढ़ते हुए हमारा ध्यान उनकी काव्य भाषा पर जाता है। यतीश कुमार की कविता नवीनता से भरी हुई है।
यतीश कुमार ने लेखकीय वक्तव्य में अपने कविता लिखने के सूत्रों और प्रेरणाओं पर बात की।
अन्त में अध्यक्षीय भाषण में प्रो. शंभुनाथ ने कहा कि किसी कविता की पुस्तक का लोकार्पण दबी हुई मनुष्यता का लोकार्पण है, कविता दबी हुई मनुष्यता की अभिव्यक्ति है। उन्होंने यतीश को प्रेम का कवि कहते हुए उनकी प्रेम कविताओं की सराहना की।


कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. विनय मिश्र ने यतीश की कविताओं के कई अंश पढ़े। धन्यवाद ज्ञापन ममता पांडेय ने किया।

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