आधार के जरिए मतदाता पहचान करने संबंधित चुनाव सुधार विधेयक पर संसद की मुहर

नयी दिल्ली : राज्यसभा ने मंगलवार को फर्जी मतदान को रोकने के उद्देश्य से मतदाता की पहचान के लिए आधार संख्या को मतदाता सूची से जोड़ने संबंधी चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित कर दिया। लोकसभा से यह विधेयक सोमवार को ही पास हो चुका है। राज्यसभा से पारित होने के साथ ही इस विधेयक पर अब संसद की मुहर लग गई है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून का रूप अख्तियार कर लेगा।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि चुनाव सुधार की दिशा में लाए गए इस विधेयक से फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक होगा।

विधेयक में प्रावधान है कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए संबंधित चुनाव पंजीकरण अधिकारी आधार संख्या की मांग कर सकता है। इसके साथ ही मतदाता सूची की जांच के दौरान भी मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार संख्या मांगी जा सकती है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि किसी व्यक्ति का नाम किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में पहले से ही दर्ज है या नहीं।

विधेयक में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए अब वर्ष में 4 तिथियां होंगी। अब तक यह प्रावधान था कि कोई व्यक्ति जो एक जनवरी को 18 वर्ष का हो चुका है वह मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकता है। एक जनवरी के बाद 18 वर्ष का होने वाले व्यक्ति को मतदाता बनने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता था। अब नए विधेयक के प्रावधान के तहत एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को आयु निर्धारण की तिथियों के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक होगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मतदाताओं के हितों को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने विपक्ष से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किए जाने का अनुरोध किया।

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