इतिहास के पन्नों में 02 अक्टूबरः अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को याद करने की तारीख

भारत के इतिहास में 02 अक्टूबर की तारीख का खास महत्व है। यह तारीख देश के दो महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 02 अक्टूबर, 1904 को हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में बताया है कि बचपन में परिवार और मां के धार्मिक होने का उन पर गहरा असर पड़ा। शुरुआती पढ़ाई पोरबंदर में हुई और फिर राजकोट में। 1883 में 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से शादी हो गई। 1888 में वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए। लौटकर बंबई में वकालत शुरू की, लेकिन चली नहीं। इसी दौरान 1893 में गुजराती व्यापारी शेख अब्दुल्ला के बुलावे पर दक्षिण अफ्रीका गए और वहीं के हो गए। डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे, तब फर्स्ट क्लास का टिकट होने के बावजूद एक गोरे ने उन्हें रात को ट्रेन से उतार दिया। स्टेशन पर रात बितानी पड़ी। इसने उन्हें भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी।

दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और रंगभेद नीति के खिलाफ सफल आंदोलन किए। तब तक उनकी ख्याति भारत पहुंच चुकी थी। 1915 में जब भारत लौटे तो बंबई में स्वागत करने कई कांग्रेस नेता पहुंचे। गोपालकृष्ण गोखले भी इनमें से एक थे। गोखले को गांधीजी का राजनीतिक गुरु कहा जाता है। गोखले की सलाह पर ही गांधीजी ने देश का भ्रमण किया। 1917 में चंपारण से नील आंदोलन की शुरुआत की और सफलता मिली। इसने गांधीजी की लोकप्रियता कई गुना बढ़ा दी। 1918 में उन्होंने खेड़ा (गुजरात) आंदोलन का नेतृत्व किया।

बाल गंगाधर तिलक के निधन के बाद गांधी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों से मिले सभी पुरस्कार लौटा दिए। रोलेट एक्ट के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च किया। इसके बाद नमक सत्याग्रह किया। राजनीति से दूर होने के बाद भी वे 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। इस दौरान आजाद हिंद फौज की सक्रियता, नौसेना विद्रोह और दूसरे विश्वयुद्ध से बने हालात को देखते हुए अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का मन बना लिया था। इस बीच, 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। हालांकि, बंटवारा हुआ और भारत-पाकिस्तान दो देश बने।

महात्मा गांधी के विचारों में सबसे ताकतवर था अहिंसा का विचार। इस विचार को दुनिया के कई देशों में क्रांति और विरोध का हथियार बनाया गया। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पारित कर 02 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया था।

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