इतिहास के पन्नों में 07 मार्चः शेख मुजीब-उर-रहमान ने ढाका से पाकिस्तान को ललकारा

देश-दुनिया के इतिहास में 07 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का महत्व बांग्लादेश की आजादी की तकरीर से भी है। ढाका के रेसकोर्स मैदान से शेख मुजीब-उर-रहमान ने 07 मार्च, 1971 को अपने भाषण में पाकिस्तान से आजादी का आह्वान किया था। करीब दस लाख लोग उन्हें सुनने पहुंचे थे। सबके हाथ में बांस के डंडे थे। जो पाकिस्तान की सेना से बचाव के लिए नहीं बल्कि प्रतिरोध का प्रतीक थे।

भीड़ का जायजा लेने के लिए पाकिस्तान की सेना के हेलिकॉप्टर ऊपर चक्कर लगा रहे थे। रेडियो पाकिस्तान के ढाका स्टेशन ने सरकारी आदेश के खिलाफ जाकर भाषण का पूरे प्रांत में प्रसारण किया। शेख मुजीब के भाषण का एक-एक लफ्ज पाकिस्तान के खिलाफ ललकार थी। बाद में इस भाषण को भारतीय उपमहाद्वीप में दिए गए सभी राजनीतिक भाषणों में सबसे ऊंचे पायदान पर रखा गया। 2017 में यूनेस्को ने शेख मुजीब के इस भाषण को विश्व के दस्तावेजी विरासत के रूप में मान्यता प्रदान की।

इस भाषण के कुछ दिन बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति याहया खां ढाका पहुंचे। 23 मार्च को जब शेख उनसे मिलने पहुंचे तो उनकी कार में बांग्लादेश का झंडा लगा था। इसके दो दिन बाद 25 मार्च को ऐसा लगा कि पूरे शहर पर पाकिस्तान की सेना ने आक्रमण कर दिया है। यह ऑपरेशन सर्चलाइट था। सेना ने शेख मुजीब को गिरफ्तार किया और पाकिस्तान ले गए। तब तक शेख मुजीब की लगाई चिंगारी आग का रूप ले चुकी थी। बांग्लादेश में मुक्तिवाहिनी ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोला। दिसंबर तक ऐसा ही चलता रहा।

भारत कुछ महीने तो स्थिति पर नजर रखे रहा, बाद में उसने मुक्तिवाहिनी की मदद करने का फैसला किया। 03 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया। 13 दिन में भारत ने उसे घुटनों के बल ला दिया। 16 दिसंबर को पाकिस्तान सेना ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश को आजादी मिली। शेख मुजीब पाकिस्तान से लंदन के रास्ते दिल्ली पहुंचे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की। इस दौरान इंदिरा गांधी के साथ तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि, केंद्रीय मंत्री, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थशंकर राय दिल्ली के हवाई अड्डे पर मौजूद थे। मुजीब ने सेना के कैंटोनमेंट मैदान पर जनसभा में बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम में मदद करने के लिए भारत की जनता को धन्यवाद दिया। दिल्ली में दो घंटे रुकने के बाद जब शेख ढाका पहुंचे तो लाखों लोगों ने ढाका हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।

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