भारत ने किया सबसे नई पीढ़ी की ”अग्नि प्राइम” मिसाइल का तीसरा परीक्षण

  • अत्याधुनिक कनस्तर मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर तक होगी
  • अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल तकनीक से विकसित हुई है नई मिसाइल

नयी दिल्ली : भारत ने शनिवार की सुबह अग्नि शृंखला की सबसे नई पीढ़ी की ”अग्नि प्राइम” मिसाइल का तीसरा सफल परीक्षण ओडिशा तट पर किया। अत्याधुनिक अग्नि प्राइम को 4,000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-4 और 5,000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीक से विकसित किया गया है। यह अग्नि श्रेणी की मिसाइलों की नई पीढ़ी का उन्नत संस्करण है। कनस्तर वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर के बीच है।

प्रवक्ता के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सुबह 10:55 बजे ओडिशा के बालासोर तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से नई पीढ़ी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल ”अग्नि प्राइम” का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। पूर्वी तट पर स्थित विभिन्न टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों ने मिसाइल पर नजर रखी। मिसाइल ने उच्च स्तर की सटीकता के साथ सभी मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। ”अग्नि प्राइम” अग्नि श्रेणी की मिसाइलों का एक नई पीढ़ी का उन्नत संस्करण है। यह एक कनस्तर वाली मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर के बीच है।

डीआरडीओ ने पिछले साल सितम्बर और अक्टूबर में छह सप्ताह के भीतर 12 मिसाइलें लॉन्च करके दुनिया को अचंभित कर दिया था। डीआरडीओ ने कोरोना महामारी से पहले पहला परीक्षण 05 मार्च को और दूसरा परीक्षण इसी साल 28 जून को ओडिशा तट के एकीकृत परीक्षण रेंज में किया था। यह मिसाइल तकनीक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) थी, जो भारत को लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मदद करेगी। ”अग्नि प्राइम” को 4000 किलोमीटर की दूरी वाली अग्नि-4 और 5000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीक से विकसित किया गया है।

अग्नि परियोजना से जुड़े एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि अग्नि-I सिंगल-स्टेज की मिसाइल है जबकि ”अग्नि प्राइम” मिसाइल दो चरणों वाली है। ठोस ईंधन वाली इस मिसाइल को उन्नत रिंग-लेजर गायरोस्कोप पर आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम के जरिये निर्देशित किया जाएगा। दोनों चरणों में समग्र रॉकेट मोटर्स और मार्गदर्शन प्रणाली इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस हैं। डबल-स्टेज अग्नि प्राइम में एक कनस्तर संस्करण होगा, जिससे इसे सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है। नई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के कारण पिछले संस्करण की तुलना में कम वजन वाली यह मिसाइल मारक क्षमता के मामले में अधिक घातक होगी।

भारत की पहली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में अग्नि- I का पहला परीक्षण मई 1989 में किया गया था। 700 किलोमीटर से 900 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-I को 2004 में सशस्त्र बलों में शामिल किया गया था। सफल प्रायोगिक परीक्षणों के बाद अग्नि प्राइम मिसाइल के सशस्त्र बलों में अग्नि-I मिसाइल की जगह लेने की उम्मीद है। भारत के पास फिलहाल सबसे महत्वाकांक्षी अग्नि शृंखला में पांच मिसाइलें हैं।

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