कोलकाता : पश्चिम बंगाल में धूमधाम से होने वाली मां दुर्गा की आराधना अपने समापन की ओर बढ़ चली है। आज नवमी के खात्मे के साथ ही मां दुर्गा को विदा करने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। दशमी शुक्रवार से विसर्जन होने लगेगा।

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माना जाता है कि 10 दिनों तक मां के घर रहने के बाद देवी दुर्गा वापस कैलाश लौट जाती हैं। इसीलिए अगले साल फिर आना मां की गुजारिश करते हुए बंगाली समुदाय नम आंखों से मां को विदा करता है। इधर नई दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति पहले ही मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी कर चुकी है। इधर कोलकाता में सुरक्षित तरीके से विसर्जन के लिए कलकत्ता नगर निगम ने नवमी से ही विसर्जन की तैयारी शुरू कर दी थी। कलकत्ता की गंगा में लगभग चार हजार मूर्तियों को वसर्जित किया जाना है। अधिकांश विसर्जन जजेस घाट, बाजे कदमतला घाट और निमताला घाट पर होता है।

कोलकाता नगर निगम सूत्रों के मुताबिक अभी से सभी तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। तीनों घाटों पर कुल चार क्रेनें रखी जा रही हैं। गंगा में तैरते बर्जर और किनारे पर क्रेन होगी। मूर्तियों के विसर्जन के बाद इसकी मदद से मलबे को गंगा से बाहर निकाल दिया जाएगा। निमतला-जजेस घाट पर किनारे पर क्रेन लगी है। हाई कोर्ट और नगर निगम ने पहले ही निर्देशिका जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि महामारी से बचाव के लिए प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जाना जरूरी है। गंगा का पानी प्रदूषित न हो इसके लिए यह व्यवस्था की गई है। प्रदूषण को रोकने के लिए फूल, माला और अन्य पूजा सामग्री को बाहर निकाला जाएगा और कलकत्ता नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा। सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस तैनात रहेगी।

कोलकाता नगर निगम बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर के सदस्य देबाशीष कुमार विसर्जन की देखरेख के प्रभारी हैं। वह पहले ही घाट का दौरा कर चुके हैं। मूर्ति पर लगे रंगों और रसायनों को गंगा में मिलने से रोकने के लिए भी उपाय किए गए हैं। कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि शुक्रवार को विजयादशमी के दिन अधिकांश मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाएगा।

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