आलापन मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ केन्द्र की याचिका पर सुनवाई टली

alapan bandyopadhyay

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंदोपाध्याय की याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार के खिलाफ की गई टिप्पणी के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस एएम खानविलकर के अध्यक्षता वाले बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश परेशान करने वाला है। न तो हाई कोर्ट की केंद्र सरकार पर टिप्पणी स्वीकार करने योग्य है और न ही कलकत्ता हाई कोर्ट को उस याचिका पर सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। तब कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस्तीफा देने के बाद बंदोपाध्याय के निवास स्थान के आधार पर सुनवाई की और बंदोपाध्याय कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) रूल्स से नियम 6(2) के तहत सुनवाई की है। तब मेहता ने कहा कि इस याचिका पर केवल दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई कर सकता है, क्योंकि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के प्रिंसिपल बेंच पर क्षेत्राधिकार केवल उसी का है, कलकत्ता हाई कोर्ट का नहीं।

मेहता ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और कैट की प्रिंसिपल बेंच के खिलाफ टिप्पणी की। हाई कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्था अगर ऐसी टिप्पणी करेगा तो वो काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। तब कोर्ट ने कहा कि वो हाई कोर्ट की टिप्पणी को हटाने पर विचार कर सकते हैं लेकिन हाई कोर्ट को उस याचिका पर सुनवाई करने का अधिकार है। सुनवाई के दौरान बंदोपाध्याय की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब देने के लिए समय देने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में इस साल 28 मई को चक्रवात यास को लेकर हुई बैठक में बंगाल के मुख्य सचिव रहते हुए आलापन के शामिल नहीं होने पर केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। आलापन को दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव करने से इनकार कर दिया था। इस बीच 31 मई को बंदोपाध्याय रिटार हो गए लेकिन केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई जारी रखी, ताकि उन्हें रिटायरमेंट से जुड़े लाभ नहीं मिल पाएं।

बंदोपाध्याय ने केंद्र की कार्रवाई को कैट के कोलकाता बेंच में चुनौती दी लेकिन केंद्र के अनुरोध पर कैट ने 21 अक्टूबर को इस मामले को कैट के दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर कर दिया और बंदोपाध्याय को निर्देश दिया गया कि वो प्रिंसिपल बेंच के समक्ष 22 अक्टूबर को उपस्थित हों। बंदोपाध्याय ने इस फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंदोपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अपनाई गई पूरी प्रक्रिया से पूर्वाग्रह की बू आ रही है। हाई कोर्ट ने इसके साथ ही केस को प्रिंसिपल बेंच को ट्रांसफर करने के आदेश को निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

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