ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण

कोलकाता : शनिवार को भारतीय भाषा परिषद में सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन और रचनाकार संस्था द्वारा विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ के नवीनतम गजल संग्रह ‘बूंद बूंद गजल’ का लोकार्पण एवं काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लेखिका सुधा अरोड़ा ने कहा कि एक रचनाकार अपने समय के सच को अपनी संवेदना से उसे सार्वजनिक और मानवीय बनाता है। शलभ प्रेम और गहरी बेचैनी के गजलकार हैं। शशि किरण ने अपने जीवन के आत्मीय क्षणों और घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि विनोद का शायर और संवेदनशील मन ही इस संग्रह की यात्रा का आधार है। विशिष्ट अतिथि सुधांशु रंजन ने कहा कि जो प्रेम करता है वो किसी का फना नहीं कर सकता। विनोद जी की गजलों में प्रेम का उदात्त रूप सामने आता है। गजलकार नंदलाल रौशन ने कहा कि विनोद जी ने इस संग्रह में गजल की हर रवायत को बचाने की सफल कोशिश की है। सेराज खान बातिश ने कहा कि विनोद जी के गजलों में आदमियत को बचाने की तड़प है। वे सहजमना पर विविधताओं से भरे गजलकार हैं।आलोचक-कवि प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि आज जब कलम ने सच बोलना कम कर दिया है तब विनोद जी पूर्व नौकरशाह होते हुए भी अपनी कलम को रोकते नहीं कहने देते हैं । इनकी कलम सच की महत्ता को हमारे सामने रखती है। रचनाकार के अध्यक्ष सुरेश चौधरी ने कहा कि यह संग्रह उनके समर्पण का पर्याय है। इकबाल के शेर में जो मारक क्षमता है, वही क्षमता इनके गजल में देखने को मिलती है।

अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि समुद्र में गिरते बूंद को सभी देख लेते हैं, बूंद में गिरते समुद्र को जो देख ले वो कवि है। विनोद जी ने अपनी पीड़ा को बड़ा बनाया और यह संग्रह उनके हिम्मत का विस्तार है। विनोद प्रकाश गुप्ता ने प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि कोलकाता में उन्हें बहुत प्यार मिला। मैं इस सांस्कृतिक नगरी के प्यार को अपने अगले संग्रह में जरूर दर्ज करूंगा। प्रथम सत्र का संचालन डॉ. संजय जायसवाल ने किया।

कविता पाठ सत्र में अभिषेक पाण्डेय, राजेश सिंह, अल्पना सिंह, सूर्य देव रॉय, मधु सिंह, मौसमी प्रसाद, इबरार खान, मनीषा गुप्ता, राजनाथ बेखबर, श्रीप्रकाश गुप्ता, निर्मला तोदी, नीता अनामिका, आनंद गुप्ता, प्रीति भारती, निशा कोठारी, संदीप गुप्ता, जूली जाह्नवी, शैलेष गुप्ता, जीतेंद्र जीतांशु, विद्या भंडारी, रावेल पुष्प, योगेंद्र शुक्ल सुमन, विमलेश त्रिपाठी, राज्यवर्धन, अभिज्ञात, उमरचंद जायसवाल, शैलेंद्र शांत ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर शाइना, शिवन्या, विकास कुमार, पूजा गौड़, सपना कुमारी, अनिल सहित सैकड़ों साहित्य और संस्कृतिप्रेमी उपस्थित थे। इस सत्र का संचालन रचना सरन ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विनोद प्रकाश गुप्ता ने किया।

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