2 हजार रुपये के नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट में फिर जल्द सुनवाई की मांग

– बिना किसी पहचान पत्र के नोट बदलने का गलत फायदा उठा रहे हैं माओवादी और आतंकवादी

नयी दिल्ली : 2 हजार रुपये के नोट बिना किसी पहचान पत्र के बदलने के रिजर्व बैंक के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में फिर जल्द सुनवाई की मांग की गई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि रिजर्व बैंक के नोटिफिकेशन में दी गई इस रियायत का माओवादी और आतंकवादी ग़लत फायदा उठा रहे है। 80 हज़ार करोड़ रुपये के नोट बदले जा चुके हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रजिस्ट्री से रिपोर्ट तलब कर रहे हैं कि क्या ये याचिका जल्द सुनवाई के लिए लिस्ट होने लायक है। उसके आधार पर हम जल्द सुनवाई के बारे में फैसला लेंगे। आप 9 जून को फिर से कोर्ट के सामने मामला रख सकते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 मई को याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक की ओर से पेश वकील पराग त्रिपाठी ने कहा था कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इस याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि ये नोटबंदी नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर करके मांग की है कि दो हजार रुपये के नोट बदलने वाले का नाम और पहचान पत्र लिये बिना ये नोट जमा नहीं किए जाने चाहिए ताकि काला धन रखने वालों की पहचान हो सके। याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि दो हजार रुपये के नोट को बिना किसी मांग पर्ची और पहचान प्रमाण के जमा करने की अनुमति देना मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट को निर्देश दिया जाए कि दो हजार के नोट किसी अन्य बैंक खाते की बजाय संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाएं, ताकि काला धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की पहचान की जा सके। याचिका में भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र को काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

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