दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी के सम्मन को चुनौती देने वाली टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी और पत्नी की याचिका खारिज की

पश्चिम बंगाल कोयला घोटाला


नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने रुजीरा बनर्जी की एक अलग याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने ईडी की शिकायत को राउज एवेन्यू अदालत में पेश नहीं होने और मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) के आदेश का संज्ञान लेने के लिए चुनौती दी थी।

ईडी ने 10 सितंबर, 2021 को दोनों याचिकाकर्ताओं को समन जारी कर कथित घोटाले के सिलसिले में ‘बड़े पैमाने पर दस्तावेजों’ के साथ दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की मांग की थी।

यह आरोप लगाया गया था कि वर्तमान मामले में ₹1,300 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है।

अपनी याचिका में, दंपति ने तर्क दिया था कि सम्मन जारी किए जाने की खबर को तामील किए जाने से पहले ही सार्वजनिक कर दिया गया था, जो ईडी के दुर्भावनापूर्ण इरादों को साबित करता है।

उन्होंने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता कोलकाता के निवासी हैं, इसलिए कोलकाता में पीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी के अधिकारी ही उनसे पूछताछ कर सकते हैं।

यह प्रस्तुत किया गया था कि धारा 4 (2) दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और पीएमएलए की धारा 65 के आधार पर गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती, कुर्की, जब्ती और जांच के संबंध में प्रक्रिया पीएमएलए के तहत सभी जांचों पर लागू होगी।

इसलिए, सीआरपीसी की धारा 160 के प्रावधान को देखते हुए, रुजीरा बनर्जी, एक महिला होने के नाते, उनके आवास पर ही जांच की जा सकती है।

उन्होंने यह भी कहा कि सीआरपीसी की धारा 160 के तहत, एक पुलिस अधिकारी केवल अपने या आसपास के पुलिस थानों की सीमा के भीतर रहने वाले ऐसे व्यक्तियों को बुला सकता है और इसलिए पीएमएलए की धारा 50 को इस तरह से पढ़ा जाना चाहिए कि ईडी अधिकारी केवल उन्हीं व्यक्तियों को ही बुला सकता है जो आसपास के क्षेत्राधिकार की सीमा के भीतर रहते हों।

हालांकि, कोर्ट ने माना कि पीएमएलए के तहत प्राधिकरण पर सीआरपीसी के तहत कोई पाबंदी नहीं होती है और विशेष जांच की अनिवार्यता के आधार पर वह स्वाभाविक रूप से अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करेंगे।

इसमें कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 160 गवाहों (जो भविष्य में आरोपी बन सकते हैं) तक सीमित है, पीएमएलए की धारा 50 बड़े / व्यापक स्तर पर काम करती है और इसमें न केवल गवाहों को बुलाने की शक्ति शामिल है, बल्कि उन्हें किसी भी व्यक्ति को बुलाने और उनकी उपस्थिति को लागू करने की शक्ति भी शामिल है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के फ़ैसले को बनर्जी दंपति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बनर्जी दंपति की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वकीलों की एक बड़ी टीम ने दलीलें रखीं। वहीं ईडी की ओर से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने निर्णय सुनाया।

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