साल 2021, तारीख 15 अगस्त। भारत स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा था लेकिन अफगानिस्तान पर 20 साल बाद तालिबान का कब्जा हो रहा था। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों के कब्जे की तस्वीरें देख दुनिया हैरान थी। राष्ट्रपति भवन की जिस कुर्सी पर हथियार के साथ तालिबान कमांडर बैठे थे, एक दिन पहले तक उसी कुर्सी पर बैठ कर राष्ट्रपति अशरफ गनी राष्ट्र को संबोधित करते रहे थे।

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करीब महीने भर से काबुल की ओर बढ़ते तालिबान लश्करों को रोकने का प्रयास नहीं किया गया। उत्तरी अफगानिस्तान के प्रमुख शहर मजार-ए-शरीफ पर तालिबान का कब्जा होने के बाद साफ हो गया कि काबुल तक वे जल्द पहुंचने वाले हैं। राष्ट्रपति अब्दुल गनी अपनी फौज के साथ उनसे लड़ने की रणनीति तैयार करने की बजाय विशेष हेलिकॉप्टर से काबुल हवाई अड्डे पहुंचे और वहां से अमेरिकी सैन्यकर्मियों की निगरानी में अफगानिस्तान से बाहर निकल गए।

काबुल पर तालिबान के आधिकारिक कब्जे के साथ देश और दुनिया में खलबली मच गई। भय के मारे लोग किसी भी तरह अफगानिस्तान से भागने की कोशिशों में लग गए। हवाई जहाज के पहिये के पास अविश्वसनीय रूप से लटक कर कई लोगों ने वहां से निकलने का प्रयास किया, जिसमें लोगों की जान चली गई।

हालांकि अमेरिका की नई बाइडेन सरकार ने जैसे ही अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को निकालने की घोषणा की, तालिबान के लिए वहां की सत्ता पर दोबारा काबिज होने का रास्ता साफ हो गया। 01 मई से अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरू हुई और 04 मई से तालिबान ने अफगानिस्तान के भीतर हमले करते हुए विभिन्न इलाकों पर कब्जे की मुहिम शुरू कर दी। 4 मई तक तालिबान का अफगानिस्तान के 407 जिलों में से 77 पर कब्जा था लेकिन 77 दिनों में 304 जिलों पर तालिबान का कब्जा हो गया।

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