इतिहास के पन्नों में 11 अप्रैलः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में दोफाड़

देश-दुनिया के इतिहास में 11 अप्रैल की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। भारत के इतिहास में राजनीतिक रूप से 11 अप्रैल की तारीख का बहुत महत्व है। इस तारीख को दो बड़ी राजनीतिक घटनाएं हुईं। 1964 में इसी तारीख को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दो हिस्सों में बंट गई।

एक का नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और दूसरी का नाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) रखा गया। दूसरी घटना भी अहम है। यह बात 1997 की है। केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी। जनता दल के एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे। उनकी पार्टी को लोकसभा की महज 46 सीटें मिली थीं। इसके बाद भी वह 13 दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री बने। उन्हें प्रधानमंत्री बने 10 महीने हो चुके थे। 11 अप्रैल को देवगौड़ा सरकार को विश्वास मत साबित करना था, लेकिन वो इसे साबित नहीं कर सके।

दरअसल, संयुक्त मोर्चा सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद देवगौड़ा सरकार अल्पमत में आ गई। सदन में पेश हुए विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में महज 158 सदस्यों ने वोट किया, जबकि विरोध में 292 वोट पड़े। 10 दिन बाद एक बार फिर संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी। इस बार भी उसे कांग्रेस ने समर्थन दिया। बस चेहरा बदल गया। 21 अप्रैल 1997 को जनता दल के ही इंद्र कुमार गुजराल ने देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, उन्हें भी छह महीने के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा।

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