अमेरिका ने भारत से द्विपक्षीय रिश्ते बढ़ाने का ऐलान किया, चीन का कम होगा प्रभाव

– अमेरिकी संसद की विदेश संबंध समिति ने विशेष ध्यान देने की बात कही

वाशिंगटन : अमेरिकी संसद की विदेश संबंध समिति ने भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते बढ़ाने और चीन का प्रभाव कम करने की कोशिश का ऐलान किया है। समिति ने इन दोनों लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विशेष ध्यान देने की बात कही है।

अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों के साथ रिश्तों की मजबूती के लिए विदेश संबंध समिति बनाई है। अमेरिकी संसद के रिपब्लिकन सदस्य माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में कहा गया कि अमेरिका व भारत के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर विशेष रूप से समिति की नजर है। समिति की प्राथमिकताओं व निगरानी के मुद्दों को लेकर पारित प्रस्ताव में कहा गया कि विशेष रूप से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व आर्थिक क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा।

समिति के डेमोक्रेट सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने बताया कि समिति भारत के प्रति अमेरिकी नीति और द्विपक्षीय सहयोग के निरंतर विस्तार की समीक्षा करेगी। सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग के साथ विस्तारित भूमिकाओं के अवसरों पर ध्यान देना भी समिति की वरीयताओं में शामिल रहगेगा। इसके अलावा आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित अमेरिका व भारत के बीच रक्षा संबंधों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बढ़ाने के प्रयासों पर जोर देते हुए प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल उद्योगों में द्विपक्षीय प्रयासों पर चर्चा की गयी। तय हुआ कि भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांगों के प्रभावों की समीक्षा भी की जाएगी।

समिति की बैठक में दुनिया में चीन की बढ़ती शक्तियों को लेकर भी चर्चा हुई। बताया गया कि चीन जिस तरह से दुनिया में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है, वो खतरे की आहट है। चीन ने अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए 2013 में एक बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू की है। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। चिंता जताई गयी कि ये अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में परिवर्तन का एक खतरनाक माध्यम बन सकता है। इसके जरिए चीन पूरी दुनिया को काबू करने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में अब चीन के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों और संधियों की भी समीक्षा करने की बात कही गयी।

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