देश-दुनिया के इतिहास में 04 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख भारत-चीन संबंधों में उतार-चढ़ाव की भी गवाह है। 2006 में 04 सितंबर को भारत और चीन ने सुलह करते हुए करीब चार दशक बाद नाथू ला को फिर से खोला था।

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नाथू ला 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हुआ था। उससे पहले तक सिक्किम के इस दर्रे से भारत और चीन के बीच व्यापार होता था। कपड़ा, साबुन, तेल, सीमेंट और दूसरी चीजों को सीमा के पार तिब्बत भेजा जाता था। वहां से रेशम, कच्चा ऊन, देसी शराब, कीमती पत्थर, सोने और चांदी के बर्तन लाए जाते थे।

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नाथू ला भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। इस दर्रे के जरिए दार्जिलिंग और चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का रास्ता है। सर्दियों को छोड़कर बाकी के दिनों में यह दर्रा व्यापार के लिए खुला होता है।

नाथू ला हिमालय की गोद में बसा एक पहाड़ी दर्रा है। दर्रे की ऊंचाई समुद्र तल से 14,140 फीट है। तिब्बती भाषा में नाथू का मतलब ‘सुनने वाले कान’ और ला का मतलब ‘दर्रा’ होता है। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस दर्रे पर भारत और चीन के जवान हमेशा तैनात रहते हैं। दर्रे तक पहुंचने के लिए काफी चढ़ाई करनी पड़ती है। अकसर होने वाली बारिश और कोहरे के कारण यात्रा मुश्किलों से भरी होती है।

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